
हम इस बैनर के तहत भविष्य में जनपक्षधर विचारों को पोषित करने वाले आयोजनों में कविता कार्यशाला, रंगमंचीय प्रदर्शन, थिएटर कार्यशाला, प्रतिरोध से जुड़े फिल्म फेस्टिवल, कहानी-उपन्यास से सम्बद्ध संगोष्ठियों, राष्ट्रीय सेमीनार को अंजाम देने का मन रखते हैं। गौरतलब है कि हमारे साथी इस संस्थान को पूरी तरह से गैर-सरकारी और गैर-व्यावसायिक रवैये के साथ आगे बढ़ाने वाले मन के हैं। वर्तमान के इस साहित्यिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को समृद्ध करते हुए आगामी सालों में कुछ सार्थक आयोजन उपजाने में आपके सहयोग की ज़रूरत है।आप वार्षिक चन्दा/सहयोग राशि पाँच सौ रुपये जमा कराके अपनी माटी की सदस्यता भी ले सकते हैं।साथ ही अगर आप नि:स्वार्थभाव से अपनी माटी को किसी तरह का अनुदान या वित्तीय सहयोग देना चाहते हैं तो भी आपका हार्दिक स्वागत है।
हमारा विधान
- साहित्य, संस्कृति और समाज के सभी पहलुओं पर धर्मनिरपेक्ष, गैर -राजनैतिक और साझेदारी के ढ़ंग से कार्य करना।
- साहित्य-संस्कृति की पत्रिका और पुस्तकों का प्रकाशन करना।
- स्थानीय से राष्ट्रीय स्तर की संगोष्ठी और फिल्म फेस्टिवल का आयोजन, संयोजन और क्रियान्वयन करना।
- जनपक्षधरता पर केन्द्रित रंगमंचीय प्रदर्शन, कार्यशाला और संवाद बैठकों का आयोजन करना।
- अव्यावसायिक रवैये वाले समानान्तर संस्थानों के साथ संयुक्त तत्वावधान में समाज सापेक्ष गतिविधियों का आयोजन करना।
- वर्तमान परिदृश्य को समृद्ध करते हुए युवाओं के हित राष्ट्रीय पहचान के व्यक्तित्वों को आमंत्रित कर आयोजन रचना।
- औपचारिकतारहित, उद्देश्यकेन्द्रित और गैर-बराबरी को हतोत्साहित करती गोष्ठियों का आयोजन।
- सामाजिक समरसता के हित अन्य कोई गतिविधियाँ।
- अभी तक के आयोजन
- अपना आँगन (घर आए मेहमान ) डॉ नन्द भारद्वाज का चित्तौड़ में उदबोधन
- कविता केन्द्रित आयोजन रतन सिंह महल में 'त्रिवेणी' आयोजन
- विमोचनविषयक आयोजन खम्मा का विमोचन और उपन्यास पर संगोष्ठी
- सामयिक आयोजन उपन्यास परम्परा और हाशिये के लोग संगोष्ठी रिपोर्ट
- विमर्श प्रधान आयोजन 'माटी के मीत' आयोजन
- कविता केन्द्रित आयोजन 'किले में कविता'
- अनौपचारिक संगोष्ठी 'आंगन में कविता'
- अभी तक की प्रतिभागिता