अपनी माटी संस्थान परिचय
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले से संचालित साहित्य और संस्कृति के प्रकल्प अपनी माटी संस्थान का औपचारिक गठन चार अगस्त, 2013 को हुआ। राजस्थान में अपनी गतिविधियों को क्रियान्वित करने के उद्देश्य से इसकी स्थापना की गयी है। यह गैर राजनैतिक और धर्मनिरपेक्ष पंजीकृत संस्थान है। इसके प्रथम अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार, समालोचक और कवि डॉ सत्यनारायण व्यास और संस्थान की दूसरी गतिविधियों के संचालन हेतु सचिव डालर सोनी और कोषाध्यक्ष सीमा सिंघवी हैं। संस्थान के इस अभियान में हमारी समृद्ध कार्यकारिणी तल्लीनता से सलंग्न है जिसमें उपाध्यक्ष वरिष्ठ गीतकार अब्दुल ज़ब्बार और सेंट्रल अकादमी स्कूल के प्राचार्य अश्लेश दशोरा, सहसचिव श्रीमती रेखा जैन, कार्यकारिणी सदस्य महेंद्र खेरारू हैं, वहीं हमारे संस्थापक साथी आरम्भ से ही साथ हैं, जिनमें शिक्षाविद डॉ. ए. एल.जैन, सेवानिवृत्त प्राचार्य मुन्ना लाल डाकोत, गीतकार रमेश शर्मा, साहित्यकर्मी डॉ. चेतन खमेसरा, स्वतंत्र पत्रकार नटवर त्रिपाठी, व्यवसायी रमेश प्रजापत, व्याख्याता श्रीमती अंकिता पंचोली और आर्किटेक्ट चंद्रशेखर चंगेरिया शामिल हैं।
अभी तक संचालित माणिक द्वारा स्थापित और अशोक जमनानी के संपादकत्व में अनौपचारिक रूप से मासिक ई-पत्रिका अपनी माटी ( ISSN 2322-0724 Apni Maati) भी अब इसी संस्थान के तहत प्रकाशित होगी। इस पत्रिका का वेब प्रकाशन प्रत्येक माह की पंद्रह तारीख को होता है। आप भी इस हेतु अपनी मौलिक, अप्रकाशित और स्तरीय रचनाएं हमें ई-मेल से भेज सकते हैं। यह पत्रिका हर रोज चार सौ पाठकों द्वारा देखी जाती है, जिससे अब तक सवा तीन लाख पाठक जुड़ चुके हैं। इसके अतिरिक्त हमनेपाठकीयता में संवर्धन हेतु अपनी माटी न्यूज़ पोर्टल और ख़ास कलाविदों और रचनाकारों के जीवन परिचय संचयन हेतु अपनी माटी पर्सनलिटीज नामक वेबसाइट भी संचालित कर रखी हैं। हम यथासम्भव हमारे चयनित आयोजनों में विमर्श प्रधान प्रस्तुति माटी के मीत और कविता पाठ प्रस्तुति किले में कविता को अपने उद्देश्यों तक पहुँचा रहे हैं। कुलमिलाकर इस मंच से साहित्य और संस्कृति के लगभग सभी पहलुओं के साथ युवाओं के सांस्कृतिक उन्नयन का प्रयास किया जाएगा।
हम इस बैनर के तहत भविष्य में जनपक्षधर विचारों को पोषित करने वाले आयोजनों में कविता कार्यशाला, रंगमंचीय प्रदर्शन, थिएटर कार्यशाला, प्रतिरोध से जुड़े फिल्म फेस्टिवल, कहानी-उपन्यास से सम्बद्ध संगोष्ठियों, राष्ट्रीय सेमीनार को अंजाम देने का मन रखते हैं। गौरतलब है कि हमारे साथी इस संस्थान को पूरी तरह से गैर-सरकारी और गैर-व्यावसायिक रवैये के साथ आगे बढ़ाने वाले मन के हैं। वर्तमान के इस साहित्यिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को समृद्ध करते हुए आगामी सालों में कुछ सार्थक आयोजन उपजाने में आपके सहयोग की ज़रूरत है।आप वार्षिक चन्दा/सहयोग राशि पाँच सौ रुपये जमा कराके अपनी माटी की सदस्यता भी ले सकते हैं।साथ ही अगर आप नि:स्वार्थभाव से अपनी माटी को किसी तरह का अनुदान या वित्तीय सहयोग देना चाहते हैं तो भी आपका हार्दिक स्वागत है।
हम इस बैनर के तहत भविष्य में जनपक्षधर विचारों को पोषित करने वाले आयोजनों में कविता कार्यशाला, रंगमंचीय प्रदर्शन, थिएटर कार्यशाला, प्रतिरोध से जुड़े फिल्म फेस्टिवल, कहानी-उपन्यास से सम्बद्ध संगोष्ठियों, राष्ट्रीय सेमीनार को अंजाम देने का मन रखते हैं। गौरतलब है कि हमारे साथी इस संस्थान को पूरी तरह से गैर-सरकारी और गैर-व्यावसायिक रवैये के साथ आगे बढ़ाने वाले मन के हैं। वर्तमान के इस साहित्यिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को समृद्ध करते हुए आगामी सालों में कुछ सार्थक आयोजन उपजाने में आपके सहयोग की ज़रूरत है।आप वार्षिक चन्दा/सहयोग राशि पाँच सौ रुपये जमा कराके अपनी माटी की सदस्यता भी ले सकते हैं।साथ ही अगर आप नि:स्वार्थभाव से अपनी माटी को किसी तरह का अनुदान या वित्तीय सहयोग देना चाहते हैं तो भी आपका हार्दिक स्वागत है।